vikas
  • दिल पर लगेगी तभी बात बनेगी

    सूबे की 63 फीसद से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। बढ़ती आबादी के मद्देनजर कृषि क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर को पांच प्रतिशत से अधिक बनाए रखना जरूरी है। उत्पादकता की दौड़ में पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से मिल रही चुनौती को ध्यान में रखना होगा। पहली जरूरत खेती योग्य भूमि का क्षेत्रफल बढ़ाने की है। प्रदेश में 242.01 लाख हेक्टयर भूमि में से मात्र 168.25 लाख हेक्टयर ही उपजाऊ और 70 प्रतिशत क्षेत्रफल ही सिंचित है। दूसरी बड़ी चुनौती जोत का आकार लगातार घटने से उनका अलाभकारी होते जाना है। किसान की औसत जोत का आकार 0.86 हेक्टयर है। छोटी जोत को लाभकारी बनाने को सिंचाई व जल प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य व उर्वरता, बीज प्रबंधन, विपणन, मशीनीकरण एवं शोध और कृषि विविधीकरण पर विशेष बल देना होगा।

  • 16,700 अरब के निवेश की दरकार

    12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान उत्तर प्रदेश की आर्थिक विकास दर को 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष के निर्धारित लक्ष्य की रफ्तार देने के लिए औद्योगिक क्षेत्र में 11.2 फीसदी और सेवा क्षेत्र में 11.9 फीसदी विकास दर हासिल करनी होगी। औद्योगिक क्षेत्र को यह गति देने के लिए राज्य को पांच वर्षों के दौरान कुल 16,70,000 करोड़ रुपये की निवेश रूपी खुराक की जरूरत होगी। कुल निवेश का 71 फीसदी निजी क्षेत्र से हासिल करना होगा। प्रदेश के औद्योगिक असंतुलन को दूर करने और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पूर्वांचल, बुंदेलखंड और मध्यांचल में नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग इन्वेस्टमेंट जोन की स्थापना करनी होगी। औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के तहत चिन्हित परियोजनाओं और ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर प्रोजेक्ट को तेजी से अमली जामा पहनाना होगा।

  • रोजाना चाहिए 226 मिलियन यूनिट बिजली

    राज्य की विकास की रफ्तार थामने में बिजली संकट एक अहम कारण बना हुआ है। 20 करोड़ की आबादी वाले राज्य में सालाना 12 फीसदी की औसत दर से बिजली की मांग बढ़ रही है लेकिन उसी रफ्तार से उत्पादन में इजाफा न होने से बिजली की मांग व उपलब्धता का अंतर तकरीबन तीन हजार मेगावाट पहुंच चुका है। रोजाना औसतन 226 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली की जरूरत है लेकिन अभी आपूर्ति 200 एमयू से कम ही हो रही है। कुछ सालों में 24 घंटे बिजली मुहैया कराने का लक्ष्य रखते हुए नए बिजलीघर लगाए जाने की पहल तो हुई लेकिन पहल हकीकत में तब्दील नहीं हो सकी। संबंधित परियोजनाओं को यदि राज्य से जमीन, पानी व केंद्र सरकार से कोयला व पर्यावरणीय अनापत्ति मिल जाए तो सूबे में  एक दशक के दौरान 33,620 मेगावाट बिजली की उपलब्धता बढऩे की उम्मीद की जा सकती है और बिजली संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

  •  50 हजार शिक्षा केंद्र की जरूरत

    राज्य में साक्षरता का उजियारा फैलाने के लिए प्रदेश की 49,800 ग्राम पंचायतों में लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना की दरकार है। शिक्षा के अधिकार को अमली जामा पहनाने के लिए राज्य में अगले पांच वर्षों के दौरान 7000 नये प्राथमिक स्कूल, 1250 जूनियर हाईस्कूल और 70,000 अतिरिक्त क्लासरूम की जरूरत होगी।  तकरीबन ढाई लाख प्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्त करने की आवश्कयता है। माध्यमिक शिक्षा को परवान चढ़ाने के लिए राज्य में 3269 नये हाईस्कूल और 702 मॉडल स्कूलों की जरूरत महसूस की जा रही है। उच्च शिक्षा में प्रवेश दर बढ़ाने के लिए राज्य के नौ मंडलों में नये विश्वविद्यालय और 58 असेवित विकासखंडों में राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना की जरूरत है। तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए 16 असेवित जिला मुख्यालयों में नये पॉलिटेक्निक और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों से वंचित सूबे के 10 मंडलों को भी नये प्रौद्योगिकी संस्थानों की दरकार है।

  • आठ हजार अस्पताल और चाहिए

    'स्वस्थ्य उत्तर प्रदेशÓ की परिकल्पना साकार के लिए अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं सहज सुलभ करने के  साथ लिंगानुपात, संस्थागत प्रसव, जननी सुरक्षा योजना, महिलाओं व बच्चों का कुपोषण और पूर्ण प्रतिरक्षण लक्ष्य की पूर्ति किया जाना अनिवार्य है। प्रदेश में मानक के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत पूरा करने के लिए 482 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 1478 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 6823 नए स्वास्थ्य उपकेंद्र खोले चाहिए। सबकी सेहत का ख्याल रखने को स्वास्थ्य विभाग के पास स्टाफ की भी कमी है। आबादी के मुताबकि जरूरत पूरी करने को 5546 चिकित्सक, 777 नर्स, 2557 पैरामेडिकल स्टाफ, 2487 एएनएम, एक हजार आशा कार्यकत्री व 6291 हेल्थ वर्कर और चाहिए। पूर्वांचल के जिलों में जापानी ज्वर के कहर का खात्मा करना बेहद जरूरी है।

  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट दुरुस्त करने होंगे

    प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.01 प्रतिशत वनाच्छादित और वृक्षाच्छादित भू-भाग को राष्ट्रीय और राज्य वन नीतियों के मुताबिक बढ़ाकर 33 फीसदी तक ले जाने के लिए राज्य में सघन पौधरोपण अभियान चलाने की जरूरत है। गंगा समेत प्रदेश की प्रमुख नदियों को प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए इन नदियों में फिलहाल बेरोकटोक गिरने वाले 1695 एमएलडी सीवेज को शोधित करने की क्षमता तत्काल विकसित करने की आवश्यकता है। ढंग से काम नहीं कर पा रहे प्रदेश में स्थापित 33 में आधे से ज्यादा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को ओवरहॉलिंग की दरकार है। शहरी क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता की निगरानी के लिए नोएडा, गाजियाबाद और रेणुकूट (सोनभद्र) और मुरादाबाद में एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन की स्थापना की तत्काल जरूरत है। ध्वनि प्रदूषण की निगरानी के लिए कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ और सहारनपुर में 32 ऑटोमैटिक एम्बियंट न्वायज क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित करने की जरूरत भी शिद्दत से महसूस की जा रही है।

  • साढ़े पांच हजार किमी चाहिए स्टेट हाईवे

    उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए पांच वर्षों के दौरान सूबे में 5760 किमी की लंबाई में सिंगल लेन स्टेट हाईवे और प्रमुख जिला मार्गों को दो लेन में तब्दील करना होगा। जिला मुख्यालयों को जोडऩे वाली सड़कों को चौड़ा कर चार लेन बनाना होगा। इस अवधि में सूबे में 300 पुलों और 100 रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण की जरूरत होगी। कनेक्टिविटी से महरूम 250 से 500 और 500 से ज्यादा आबादी वाली 9244 बसावटों को पक्की सड़क से जोडऩा होगा। सबके सिर पर छत मुहैया कराने के उद्देश्य से 12वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि में राज्य में कुल 24 लाख आवासीय इकाइयों की दरकार होगी। प्रदेश के नगरीय निकायों में पेयजल, सीवरेज व सफाई, कूड़ा प्रबंधन, नगरीय यातायात, मार्ग प्रकाश, बस रैपिड ट्रांसपोर्ट प्रणाली और ई-गवर्नेन्स को सुदृढ़ करने के लिए 1,49,492.74 करोड़ रुपये की दरकार होगी।